<h2><strong>"<span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">उद्धव</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">इंटरनेशनल</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">डांस</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">फेस्टिवल</span>: <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">नारी</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">सशक्तिकरण</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">की</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">मनमोहक</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">प्रस्तुतियों</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">का</span> <span style="font-family:nirmala ui,sans-serif">जलवा</span>"</strong></h2>
<p><span style="font-size:18px">Gwalior news 1</span></p>
<p><span style="font-size:18px">ग्वालियर में आयोजित 19वें उद्धव इंटरनेशनल डांस फेस्टिवल के दूसरे दिन, डांस कलाकारों की टीम ने एक से बढ़कर एक मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं। इस मंच पर दर्शकों ने क्लासिकल डांस से लेकर आधुनिक फ्यूज़न डांस की शानदार झलकियाँ देखीं, जिनमें सभी प्रस्तुतियों का उद्देश्य लोगों को मंत्रमुग्ध करना था। इस आयोजन की थीम 'नारी सशक्तिकरण' पर आधारित थी, जिसमें नृत्य कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से महिलाओं की शक्ति, उनके संघर्ष, और समाज में उनके योगदान को भावनात्मक और सशक्त अंदाज़ में प्रस्तुत किया।</span></p>
<h2><strong>"महर्षि वाल्मीकि जयंती पर ग्वालियर में सर्वधर्म एकता के तहत स्वयंसेवियों का सम्मान"</strong></h2>
<p><strong><span style="font-size:18px">Gwalior news 2</span></strong></p>
<p><span style="font-size:18px">ग्वालियर में स्वयंसेवियों का भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जो सर्वधर्म एकता के संदेश के तहत आयोजित किया गया था। यह विशेष कार्यक्रम महर्षि वाल्मीकि जयंती की पूर्व संध्या पर इंद्रलोक कॉलोनी, कम्पू में संपन्न हुआ। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले स्वयंसेवियों को सम्मानित किया गया, जिसमें उनकी निस्वार्थ सेवा और समाज को एकजुट करने की दिशा में किए गए प्रयासों को सराहा गया। कार्यक्रम का उद्देश्य सर्वधर्म एकता के मंत्र को जन-जन तक पहुँचाना और महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को स्मरण करना था।</span></p>
<h2><strong>"दिवाली पर ग्वालियर को मिली नई फ्लाइट सेवाएँ: हैदराबाद और अहमदाबाद के लिए सीधी उड़ानें"</strong></h2>
<p><strong><span style="font-size:18px">Gwalior news 3</span></strong></p>
<p>ग्वालियर के निवासियों के लिए इस दिवाली का उपहार बेहद खास होने वाला है, क्योंकि 27 अक्टूबर से ग्वालियर से हैदराबाद और अहमदाबाद के लिए सीधी फ्लाइट सेवाएँ शुरू की जा रही हैं। नागरिक विमानन मंत्रालय ने इस नई सेवा की शुरुआत की घोषणा करते हुए, ग्वालियर वासियों को एक बड़ी सौगात दी है। इन उड़ानों के शुरू होने से ग्वालियर के लोगों को यात्रा के लिए अधिक सुविधा और समय की बचत होगी, साथ ही शहर का कनेक्टिविटी नेटवर्क भी और मजबूत होगा, जो व्यापार, पर्यटन और अन्य गतिविधियों के लिए फायदेमंद साबित होगा।</p>
<h2><strong>डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों से ग्वालियर में अस्पतालों की स्थिति गंभीर"</strong></h2>
<p><strong><span style="font-size:18px">Gwalior news 4</span></strong></p>
<p><span style="font-size:18px">डेंगू और चिकनगुनिया के लगातार बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों में हालात चिंताजनक हो गए हैं। मरीजों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि अस्पतालों में बेड की भारी कमी महसूस की जा रही है। इस विकट स्थिति के चलते डॉक्टरों को मरीज़ों का इलाज स्ट्रेचर पर ही करना पड़ रहा है। इन संक्रामक बीमारियों के अचानक बढ़ते प्रकोप ने स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी दबाव डाल दिया है, जिससे मरीजों और उनके परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति को नियंत्रित करने और मरीज़ों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन को त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है।</span></p>
<h2><strong>"न्याय की मूर्ति में बदलाव: न्यायाधीश चंद्रचूड़ के नेतृत्व में संविधान का नया प्रतीक"</strong></h2>
<p><strong><span style="font-size:18px">Gwalior News 5</span></strong></p>
<p><span style="font-size:18px">न्याय की पारंपरिक मूर्ति के स्वरूप में बड़ा बदलाव किया गया है। न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय के तहत अब न्याय की मूर्ति की आँखों पर बंधी पट्टी को हटा दिया गया है, जो अब तक निष्पक्षता का प्रतीक मानी जाती थी। इसके अलावा, मूर्ति के हाथ में पहले मौजूद तलवार की जगह अब संविधान को स्थान दिया गया है। इस बदलाव का उद्देश्य न्याय की धारणा को नए रूप में प्रस्तुत करना है, जहाँ संविधान और उसके सिद्धांतों को सर्वोपरि माना गया है। इस नए स्वरूप के माध्यम से न्याय की निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाया गया है।</span></p>